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कृषि कानून (farm bill) के खिलाफ चल रहे आंदोलन से जोड़कर इन दिनों सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं। नए किसान कानून को लेकर हर रोज नए-नए दावे देखने को मिल रहे हैं। सोशल मीडिया पर यूजर्स अक्सर कभी पुराने वीडियो को तो कभी पुरानी तस्वीरों को किसान आंदोलन (Farmer protest) से जोड़ शेयर करते नजर आते हैं।
यहां पढ़े किसान आंदोलन से जुड़े फैक्ट चैक
सोशल मीडिया पर एक छोटी सी बच्ची लंगर में लोगों को रोटी देते हुए नजर आ रही है। इस फोटो को शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि ये किसान आंदोलन (farmer protest) के एक लंगर की फोटो है। जहां पर ये बच्ची किसानों को खाना खिलाने के लिए पहुंची थी।
वायरल पोस्ट से जुड़ा आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
इस फोटो की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। सबसे पहले हमने इस फोटो को गूगल रिवर्स सर्च के जरिए सर्च किया। सर्च करने के बाद इस तस्वीर से जुड़ी कई जानकारियां हमारे हाथ लगी। इस दौरान हमें पता चला कि तस्वीर को गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। असल में ये फोटो तीन साल पुरानी यानि साल 2017 की है और इसका किसान आंदोलन से किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं है।
गूगल रिवर्स पर सर्च करने के बाद हमें कई फेसबुक अकाउंट मिले, जहां पर ये तस्वीर अपलोड की गई थी। सभी तस्वीरें साल 2017 के अलग-अलग महीने में पोस्ट की गई थी। तस्वीर की पूरी सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च करना शुरू किया। जिसके बाद हमें ये तस्वीर गोल्डन टेंपल के फेसबुक अकाउंट पर मिली। जिसके बाद हमें पता चला कि ये तस्वीर अमृतसर की है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब गलत तस्वीर को किसान आंदोलन (farmer protest) से जोड़कर शेयर किया गया हो। ऐसा सोशल मीडिया पर अक्सर होता ही रहता है। दिल्ली में हो रहे मौजूदा किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया में अब तक कई फेक खबरें शेयर की गई हैं, जिनका हमारी टीम ने पर्दाफाश भी किया है।
15 मार्च 2017 को गोल्डन टेंपल अमृतसर में गुरु के लंगर का आयोजन हुआ था। वहीं पर ये बच्ची अपने माता-पिता के साथ आई थी। बच्ची ने गोल्डन टेंपल अमृतसर में अपने माता-पिता के साथ मिलकर लोगों की सेवा की थी। इस तस्वीर का किसान आंदोलन (farmer protest) से किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं है।
Conclusion
मौजूदा किसान आंदोलन (farmer protest) के नाम पर वायरल हो रही छोटी बच्ची की तस्वीर करीब 3 साल पुरानी है और उसका हालिया कृषक आंदोलन (farmer protest) से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Result- False
our Sources –
Google revers image
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