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Fact Check
सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां आरक्षण पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.
भारतीय संविधान के आर्टिकल 16 के अंतर्गत देश में पिछड़े एवं वंचित तबकों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है. भारतीय गणराज्य की स्थापना के बाद सामाजिक आधार पर समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए भी समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. हालांकि, आजादी के 74 वर्षों के बाद भी देश में जातिगत भेदभाव, सबके लिए समान अवसर तथा एक निश्चित मापक बिंदु के अनुरूप आर्थिक समानता जैसे मुद्दों का हल नही निकल पाया है.
सामान्य वर्ग से आने वाले लोग अक्सर वर्तमान भारत में जातीय आरक्षण को यथार्थहीन तथा अप्रासंगिक बताते हुए इसे हटाने के लिए विभिन्न अदालतों में याचिकाओं से लेकर रैली, सभाओं के माध्यम से प्रयासरत रहते हैं. हालांकि, विभिन्न अदालतों समेत सरकारों ने भी विभिन्न मौकों पर आरक्षण हटाने संबंधित नीतियों को अपनाने से साफ-साफ इनकार किया है.
इसी क्रम में दावा किया कि उत्तर प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां आरक्षण पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.
Newschecker के कई पाठकों ने हमारे आधिकारिक WhatsApp हेल्पलाइन नंबर (9999499044) पर भी वायरल दावे का सच जानने का अनुरोध किया था.
सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा किये गए इस दावे, ‘उत्तर प्रदेश प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां आरक्षण पूरी तरह कर दिया गया की पड़ताल के लिए हमने ‘उत्तर प्रदेश में आरक्षण’ कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च किया.
गूगल सर्च से प्राप्त परिणामों में हमें उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की आधिकारिक वेबसाइट के अधिनियम एवं अध्यादेश सेक्शन के अंतर्गत ‘उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) (संशोधन) अधिनियम, 2002’ अधिनियम मिला. इस अधिनियम के तहत राज्य अनुसूचित, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के आरक्षण की व्यवस्था पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है. उक्त अधिनियम के अनुसार अनुसूचित जातियों को 21%, अनुसूचित जनजातियों को 2% तथा पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण की व्यवस्था की गई है.
बता दें उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की वेबसाइट पर हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जिससे सूबे में आरक्षण खत्म करने के इस दावे की पुष्टि हो सके.
‘उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग’ कीवर्ड्स कॉम्बिनेशन के साथ प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स के बारे में जानकारी जुटाने पर हमें पता चला कि हाल फिलहाल मे निषाद आरक्षण, 69000 शिक्षक भर्ती तथा लेखपाल भर्ती समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर आरक्षण की चर्चा की गई है. इससे यह बात साफ हो जाती है कि उत्तर प्रदेश में जातीय आरक्षण खत्म नहीं किया गया है.
बता दें कि यही दावा पूर्व में गुजरात में आरक्षण के खात्मे के नाम पर भी शेयर किया जा चुका है. ‘देश का पहला राज्य बना जहाँ पर आरक्षण’ कीवर्ड्स की सहायता से फेसबुक तथा ट्विटर सर्च करने पर हमने पाया कि वायरल फॉरवर्ड 2015 से ही सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.
बता दें कि यही दावा जब गुजरात के नाम पर वायरल हुआ था, तब Newschecker द्वारा इसकी पड़ताल की गई थी, जिसे यहां पढ़ा जा सकता है.
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा उत्तर प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां आरक्षण पूरी तरह से खत्म किये जाने के संबंध में शेयर किया गया यह दावा भ्रामक है. असल में प्रदेश सरकार द्वारा ऐसा कोई फैसला नही लिया गया है. बता दें कि यही दावा हूबहू गुजरात में आरक्षण खत्म किये जाने के संबंध में 2015 से ही शेयर किया जा रहा है.
Uttar Pradesh State Commission for Backward Classes: http://upsbcc.in/site/writereaddata/siteContent/201803201704160030act-2002-101-107.pdf
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