Claim–
यह है अमित शाह के सपनों का भारत। वे ऐसी ही बल्कि इससे भयानक तस्वीर दिखाना चाहते हैं सारे देश में।

Verification–
एनआरसी और सीएबी के मुद्दे को लेकर देशभर में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ लोग इस कानून को समर्थन दे रहे हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया में एक फोटो वायरल हो रही है जिसमें दिख रहा है कि एक आर्मी जवान एक महिला प्रदर्शनकारी को बुरी तरह खींच रहा है। इस फोटो को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह असम की फोटो है पूरे देश में एनआरसी लागू किए जाने पर यह हाल सभी जगहों पर देखने को मिलेगा। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि देश के गृहमंत्री अमित शाह ऐसी तस्वीर बल्कि इससे भी भयानक तस्वीर पूरे देश में दिखाना चाहते हैं।
इसके अलावा इसी तरह के दावे वाले और भी ट्विट्स हमें मिले।
इसके अलावा यह फोटो फेसबुक पर भी वायरल हो रही है।
हमनें कुछ कीवर्ड्स की मदद से इस फोटो को लेकर जांच की असम में एनआरसी का विरोध का दावा करने वाले इस फोटो के बारे में कोई खबर नहीं मिली। इसलिए हमनें बाद में इस रिवर्स इमेज टूल
tineye की मदद से खोज की इसके रिजल्ट में हमें यह फोटो
Shutterstock वेबसाइट पर देखने को मिला। इस फोटो के कैप्शन में लिखा है कि काठमांडू में संयुक्त राष्ट्र की इमारत के सामने एक तिब्बती प्रदर्शनकारी ने पुलिस अधिकारियों के साथ संघर्ष किया। यह फोटो साल 2008 में राॅयटर्स की फोटोग्राफर दीपा श्रेष्ठा ने खींची है।
इस बारे में जानकारी देते हुए लिखा गया है कि 24 मार्च 2008 में काठमांडू में संयुक्त राष्ट्र की इमारत के सामने तिब्बती प्रदर्शनकारियों ने हंगामा किया। नेपाल पुलिस ने हाल ही में हुए इस प्रदर्शन के दौरान 250 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुलिस प्रदर्शनकारियों को लोहे की मैश वैन और ट्रक से ले गए। बताया जा रहा है कि इसमें कुछ लोगों को चोट भी आई थी।
France24 नामक वेबसाइट पर भी यह खबर उस समय छपी थी। इस खबर में केंसांग डोलकर नामक 38 वर्षीय प्रदर्शनकारी द्वारा बयान दिया गया है। उसने कहा कि हम अपना विरोध जारी रखेंगे चीन को तिब्बती लोगों को मारने की अनुमति न दी जाए।
इससे यह स्पष्ट होता है कि यह फोटो असम में एनआरसी का विरोध करने वाली महिला पर आर्मी द्वारा बर्बरता का नहीं है बल्कि 12 साल पहले नेपाल में तिब्बती प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान की है। इस फोटो को एनआरसी और सीएए जैसे गर्म मुुद्दे के दौरान वायरल कर भ्रामकता पैदा करने की कोशिश की गई है।
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