Claim
सरकार ने सूचना आयोग की संवैधानिक वैधता खत्म कर दी है।
Verification
ट्विटर पर कविता कौशिक नामक हैंडल से यह दावा किया गया है कि किसी भी टीवी चैनल ने सूचना आयोग की संवैधानिक वैधता समाप्त करने पर डिबेट नहीं की। इस ट्वीट में मीडिया को भी निशाना बनाया गया है। मीडिया को बिकाऊ सहित कुछ अन्य अपशब्द भी बोले गए हैं।
इस ट्वीट का सच जानने के लिए पड़ताल शुरु की। इसके लिए गूगल खंगाला। गूगल में
सूचना आयोग की संवैधानिक वैधता खत्म इन कीवर्ड्स की मदद से खोज शुरु की तो हमें आज तक की वेबसाइट पर 23 जुलाई को प्रकाशित
खबर मिली जिसमें बताया गया है कि, RTI कार्यकर्ता, विपक्षी पार्टियां और यहां तक कि पूर्व सूचना आयुक्त ने भी RTI में संशोधन का कड़ा विरोध किया है। उन्हें डर है कि इस संशोधन से सूचना आयोग और सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
लेकिन खबर में कहीं पर भी सूचना आयोग की संवैधानिकता खत्म होने का जिक्र नहीं है। वहीं
न्यूज लांड्री की खबर में कहा गया है कि पारदर्शिता की मांग कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि नये संशोधनों से
केंद्रीय सूचना आयोग की स्वायत्तता खत्म हो जायेगी और RTI कानून का कोई मतलब नहीं रह जायेगा।
डिजिटल और प्रिंट मीडिया द्वारा RTI में संशोधन को लेकर खबरें प्रकाशित तो हुई हैं लेकिन हमें यह पता करना था कि टीवी चैनलों ने इस पर डिबेट की थी या नहीं। इस दौरान यूट्यूब में RTI कानून संशोधन कीवर्ड्स की मदद से खोज शुरू की तो कई वीडियो सामने आए।
इन वीडियोज में एक राज्यसभा टीवी का भी है। इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि, सरकार 2005 के कानून में मौजूद विसंगतियों को दूर करने के लिए सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 लाई है। जिसे लोकसभा से इस विधेयक को मंजूरी मिल गई है। वहीं विपक्ष ने इस बिल के मकसद पर सवाल भी उठाए हैं। सरकार का कहना है कि RTI एक्ट 2005 में कई विसंगतियां हैं जिनमें सुधार की जरूरत है।
वीडियो में प्रसिद्ध RTI कार्यकर्ता
सुभाष अग्रवाल ने भी RTI कानून को लेकर जानकारी दी है। यूट्यूब पर
NDTV का एक वीडियो मिला जो 19 जुलाई को अपलोड किया गया है। इसमें RTI कार्यकर्ताओं की राय ली गई है।
वहीं गूगल पर सर्च करने पर हमें नवभारत टाइम्स की खबर मिली जिसमें लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी RTI कानून संशोधन बिल पास होने की जानकारी दी गई है। खबर में आगे लिखा है कि सरकार ने RTI कानून को कमजोर करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पारदर्शिता, जन भागीदारी और सरलीकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
हमारी पड़ताल में साफ़ हो गया कि ट्वीट में किया गया दावा भ्रामक है।
Tools Used
- Twitter Advanced Search
- YouTube
- Google Search
Result- False