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क्या NPR और NRC दोनों एक जैसे हैं? समझें इन दोनों के बीच का अंतर

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

एनपीआर (NPR) क्या है?

National Population Register यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एक ऐसा रजिस्टर है जो कि ग्राम पंचायत, खंड/प्रखंड, तहसील, जनपद, राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक भारत के सभी नागरिकों व गैर नागरिकों (जो भारत में 6 महीने से रह रहे हैं) का एक डाटाबेस तैयार करता है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार 2020 में संभावित एनपीआर में किसी को भी कोई दस्तावेज़ दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी. प्रकाश जावड़ेकर कैबिनेट द्वारा पारित इस फैसले पर और अधिक प्रकाश डालते हुए कहा कि यह स्वयंघोषित रजिस्टर है मतलब एनपीआर के तहत भारत के नागरिकों तथा गैर-नागरिकों द्वारा स्वतः अपनी नागरिकता समेत अन्य जानकारी की घोषणा करनी होगी तथा वो किसी भी प्रकार के बायो-मैट्रिक, पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं होंगे.

NPR का इतिहास

Ministry of Statistics and Programme Implementation के अनुसार नागरिकों का एक डाटाबेस बनाने पर पहली बार चर्चा 1950 में शुरू हुई. गूगल पर मौजूद जानकारी के अनुसार भारत में रह रहे लोगों का एक डाटाबेस बनाने पर पहली बार चर्चा 1950 में शुरू हुई. गूगल पर मौजूद जानकारी के अनुसार 2002 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस बात का वर्णन है कि 1950 में सरकार को भारत में रह रहे लोगों के एक ऐसे डाटाबेस की आवश्यकता महसूस हुई. 

नागरिकों के पहचान के लिए एक ऐसा रजिस्टर पहली बार चर्चा में तब आया जब करगिल युद्ध के बाद भारी संख्या में भारत में घुसपैठ हुआ. तत्कालीन सरकार घुसपैठ के बाद भारत आए लोगों के बारे में जानकारी जुटाना चाहती थी और इसी तत्वाधान में मंत्रियों का एक समूह बनाकर इस पर चर्चा हुई और फिर इसे मूर्त रूप देने की तैयारियां शुरू हुई. इस संदर्भ में बॉर्डर से सटे कुछ जनपदों में पायलट प्रोजेक्ट भी चलाए गए. और इन्ही पायलट प्रोजेक्ट्स और तमाम अध्ययनों के बाद 2010 में पहली बार एनपीआर लागू करने का प्रस्ताव लाया गया.

भारत सरकार की प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो की वेबसाइट पर 2011 में प्रकाशित एक नोटिस के अनुसार “जनगणना 2011 रूपी मील का पत्थर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का सृजन है। एनपीआर के निर्माण के लिए आवश्यक विवरणों का प्रथम चरण के दौरान अध्ययन किया गया था। देश के निवासियों के लिए एनपीआर की रचना एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसमें देश के प्रत्येक निवासी के बारे में विशेष जानकारी को एकत्र करना शामिल है। इसमें अनुमानत: 1.2 बिलियन जनसंख्या को शामिल किया जाएगा और इस योजना की कुल लागत 3539.24 करोड़ रूपए है। यह पहला मौका है जब एनपीआर को तैयार किया जा रहा है। आंकड़ों के संग्रह को भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा तैयार किया जाएगा। जनगणना ओर एनपीआर दोनों अलग हैं, हालांकि दोनों प्रक्रियाओं के पीछे मूल सोच जानकारियों का संग्रह ही है। एनपीआर में देश के लिए एक व्यापक पहचान आंकड़ों का संग्रह तैयार करना शामिल है। यह देश के लिए योजना बनाने, सरकारी योजनाओं कार्यक्रमों को बेहतर लक्ष्य प्रदान करने और सुरक्षा को मजबूत करने में सुविधा प्रदान करेगा। जनगणना से एनपीआर को अलग करने वाला एक और पहलू यह भी है कि एनपीआर एक सतत प्रक्रिया है। जनगणना में, संबंधित अधिकारियों की सेवाएँ कार्य पूर्ण हो जाने के बाद समाप्त हो जाती है जबकि एनपीआर के मामले में, संबंधित अधिकारियों और उनके अधीनस्थ अधिकारियों जैसे तहसीलदार और ग्राम अधिकारियों की भूमिका निरंतर जारी और स्थाई रहती है।”

पहले कैसा होता था NPR?

NPR परियोजना के तहत कई प्रक्रियांए अपनाई गईं। इनमें गणनाकारों द्वारा घरों की सूची बनाना, NPR अनुसूचियों की स्‍कैनिंग, डाटा डिजिटाइजेशन, बायोमेट्रिक नामांकन और समेकन, LR UR सुधार तथा सत्‍यापन, UIDAI डुप्‍लीकेशन और आधार संख्‍या जारी करना तथा ORGI के त्रुटि रहित डाटा का समेकन शामिल है। 

भारत सरकार के india.gov.in पर 2012 में प्रकाशित एक लेख के अनुसार “एनपीआर में 18 वर्ष और इससे अधिक के सभी सामान्य‍ निवासियों को निवासी पहचान कार्ड जारी करने का प्रस्‍ताव भी सरकार के पास विचाराधीन है। यह प्रस्‍तावित पहचान कार्ड एक स्‍मार्ट कार्ड होगा और इस पर आधार संख्‍या होगी।”

वर्तमान NPR के प्रावधान

 

दो चरणों में होने वाले NPR में कुल 8754 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है. इसकी शुरुआत अप्रैल 2020 से कर दी जाएगी. बता दें कि NPR की प्रक्रिया असम में लागू नहीं की जाएगी क्योंकि वहां पर पहले ही NRC लागू हो चुकी है.

 

NPR के तहत आपसे मांगी जाने वाली जानकारी

 

NPR के तहत हर स्थानीय निवासी से नाम, माता-पिता, लिंग, वैवाहिक स्थिति, पति/पत्नी का नाम, घर के मुखिया से संबंध, लिंग, जन्म तिथि, जन्मस्थान, राष्ट्रीयता, वर्तमान पता, निवास की अवधि, शैक्षिक योग्यता, व्यवसाय की जानकारी मांगी जाएगी। हालांकि सरकार के हालिया बयान के अनुसार इसके लिए किसी तरह का कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं करना पड़ेगा. सरकार ने बायो-मैट्रिक को भी एनपीआर की इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया है.

 

क्या NPR और NRC दोनों एक जैसे हैं?

 

नहीं, NPR और NRC एक नहीं है. दोनों प्रक्रियाओं के बीच का अंतर कुछ इस तरह है

एनआरसी (NRC) एनपीआर (NPR)
NRC देश के नागरिकों का एक डाटाबेस तैयार करती है. NPR देश में रह रहे नागरिक तथा गैर-नागरिक दोनों का डाटाबेस तैयार करती है.
NRC में आपके द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के समर्थन या सत्यापन में आपको दस्तावेज़ देने होते हैं. NPR में आपको अपने द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के समर्थन में कोई दस्तावेज़ नहीं देना है.
NRC में अगर आपका नाम नहीं है और विधिक प्रक्रिया के अनुपालन के बाद भी अगर आप अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए तो आपको देश छोड़ने या डिटेंशन सेंटर में जाना पड़ सकता है. NPR के तहत इस तरह का कोई भी प्रावधान नहीं है.

हमारे द्वारा इस लेख को लिखे जाने के पीछे का उद्देश्य हालिया राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं के फलस्वरूप गलत सूचना या आधी अधूरी जानकारी से बचाना है.

अगर आपको NPR, NRC या Citizenship Amendment Act 2019 से संबंधित किसी सवाल का जवाब जानना है तो आप नीचे दिए गए हमारे व्हाट्सएप नंबर के माध्यम या फिर हमे ईमेल के जरिए संपर्क कर सकते हैं।

Sources

  • Ministry of Statistics and Programme Implementation
  • PIB Govt of India
  • Media Reports
  • Indian Govt Archives

(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Saurabh Pandey
A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

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