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सोशल मीडिया पर भ्रामक दावों के साथ कश्मीर की पुरानी तस्वीरें हुईं वायरल

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim

सुना है #कश्मीर में सब कुछ सही है ?  

Verification

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटााए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर घाटी से संबंधित अनेक पोस्ट वायरल हो रहें । ऐसी ही एक पोस्ट Newschecker की टीम को मिली। पोस्ट में कुछ तस्वीरों को पोस्ट करके केंद्र सरकार से व्यंग्यात्मक तौर पर सवाल उठाया है कि क्या कश्मीर के हलात सच में दुरुस्त हैं।

पहली तस्वीर

हमने तस्वीरों की पड़ताल के लिए सबसे पहले Google का रुख किया।

इस दौरान The Atlantic नामक वेबसाइट पर वायरल तस्वीरों में से एक तस्वीर प्राप्त हुई। वायरल तस्वीर को प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी Associated Press के माध्यम से साल 2017 में वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, जिसका संदर्भ कश्मीर से तो है, लेकिन मौजूदा हालातों से तस्वीर का कोई सम्बन्ध नहीं है। तस्वीर 20 अप्रैल 2017 को डार यासीन नामक फोटोग्राफर ने ली थी।

दूसरी तस्वीर

इसी कड़ी में हमने वायरल पोस्ट की अगली तस्वीर को गूगल में खोजा।

खोज के दौरान ये तस्वीर हमें एक Flicker अकाउंट में मिली जहां इसे 20 जून 2010 में डाला गया था। तस्वीर के साथ मिली जानकारी के मुताबिक तस्वीर कश्मीरी युवक मोहम्मद रफीक़ बांगरू के अंतिम संस्कार की है। रफीक़ की मौत 12 जून को कथित तौर पर पत्थरबाजी के दौरान सुरक्षाबलों द्वारा पीटे जाने के कारण हुई थी। 

तीसरी तस्वीर

तीसरी तस्वीर को Google Reverse Image Search करने पर ये तस्वीर कई जगह मिली। Greater Kashmir नाम की बेवसाइट पर इसे 2017 में डाला गया था। वेबसाइट के मुताबिक ये तस्वीर नवा कदल हाई स्कूल की छात्राओं द्वारा किए गए प्रदर्शन की है। 

 

हमारी पड़ताल में तस्वीरें काफी पुरानी साबित हुई। जिनका कश्मीर के मौजूदा हालातों से कोई सम्बन्ध नहीं है। 

Tools used 

  • Google Reverse Image Search 
  • Google Search 

Result: Misleading

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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