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Coronavirus
देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में पीक पर जाने के बाद कोरोना के मामलों में कमी देखी जा सकती है। इन दिनों अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो रही है। जिसके चलते कई कोरोना मरीज दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में व्हाट्सएप पर 30 सेकेंड की एक वीडियो शेयर की जा रही है। इस वीडियो में ऑक्सीजन और सांस रोककर कोरोना जांच की बात कही गई है। दावा किया जा रहा है, ‘इस फॉर्मूला से आप सांस रोककर ऑक्सीजन लेवल चेक कर सकते हैं और जान सकते हैं कि आप कोरोना संक्रमित हैं या नहीं।’ वीडियो में ग्राफिक के ज़रिए बताया गया है कि यदि आप बिंदु A से B तक 10 सेकेंड सांस रोकने में सफल हो जाते हैं तो आप कोरोना से मुक्त हो सकते हैं।
देखा जा सकता है कि इस वीडियो को फेसबुक और ट्विटर पर तेजी से शेयर किया गया है।

नीचे देखा जा सकता है कि इस वीडियो को पिछले साल भी शेयर किया गया था।
वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां और यहां देखा जा सकता है।
10 सेकेंड सांस रोककर कोरोना टेस्ट करने वाले दावे की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। Google Keywords Search की मदद से खंगालने पर हमें वायरल दावे से संबंधित कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली।

पड़ताल के दौरान हमें World Health Organization के आधिकारिक फेसबुक पेज पर 30 मार्च, 2020 को की गई एक पोस्ट मिली। इस पोस्ट के मुताबिक डब्लूएचओ (WHO) ने पिछले साल ही इस दावे का खंडन कर दिया था। केवल सांस रोकने से किसी भी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण और फेफड़ों की कोई बीमारी है या नहीं इसका पता नहीं लगाया जा सकता है। आरटीपासीआर परीक्षण कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर किया जाता है। लेकिन यह कहना काफी भ्रामक है कि कोरोना की जांच 10 सेकेंड सांस रोककर की जा सकती है।

पड़ताल के अगले चरण में हमें यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में वाइस प्रेसीडेंट (Chief of Infectious Diseases, University of MD UCH) और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ फहीम यूनुस (Dr. Faheem Younus) का एक ट्वीट मिला। इसके मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमित युवा मरीज 10 सेकेंड से ज्यादा देर तक अपनी सांस को रोक सकता है। जबकि बुजुर्ग लोग जो कोरोना संक्रमित नहीं है वो 10 सेकेंड भी अपनी सांस को नहीं रोक सकते हैं। इसलिए यह दावा गलत है कि केवल 10 सेकेंड सांस रोकने से कोरोना संक्रमित होने या न होने का पता लगाया जा सकता है।
अधिक खोजने पर हमें मिशिगन यूनिवर्सिटी की मिशिगन मेडिसन (Michigan Medicine University of Michigan) की एक रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक लंबी सांस (Deep Breathing) लेने से शरीर में स्ट्रेस कम होता है। लंबी सांस लेने से हमारे दिमाग में मैसेज पहुंचता है कि अब आपको रिलैक्स करना है।

पड़ताल के दौरान हमने World Health Organization की आधिकारिक वेबसाइट पर यह जानने का प्रयास किया कि कोरोना संक्रमित के लिए कौन-कौन से टेस्ट हो रहे हैं। इसके मुताबिक इस समय कोरोना संक्रमण की जांच करने के लिए तीन तरह के टेस्ट हो रहे हैं। आरटीपीसीआर टेस्ट, दूसरा एंटीजन टेस्ट और तीसरे टेस्ट में एंटीबॉडी बन रही है या नहीं इसका पता लगाया जाता है।

इसके अलावा हमने डॉ. रौबिन वर्मा (Dr. Robin Verma) से संपर्क किया। बातचीत में उन्होंने बताया कि 10 सेकेंड सांस रोकने वाला वायरल दावा फर्ज़ी है। उन्होंने हमें बताया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति भी 10 सेकेंड के लिए सांस आराम से रोक सकता है। केवल सांस रोककर यह पता नहीं लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति संक्रमित है या नहीं।
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि 10 सेकेंड सांस रोककर कोरोना जांच किए जाने वाला दावा फर्ज़ी है। पड़ताल में हमने पाया कि केवल 10 सेकेंड सांस रोकने से पता नहीं लगता है कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। लोगों को भ्रमित करने के लिए इस तरह का भ्रामक दावा किया जा रहा है।
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