सोशल मीडिया पर मंदिर के पुजारियों के बीच बहस की 54 सेकेंड की एक वीडियो क्लिप शेयर की जा रही है। इस वीडियो में मंदिर के पुजारियों और सरकारी कर्मचारियों के बीच दान पेटी को लेकर बहस हो रही है। वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है, “कर्नाटक के मंदिरों में हिंदुओं द्वारा चढ़ाया गया चढ़ावा लेने के लिए शासन के लोग पहुंचे हैं। पुजारियों और मौके पर मौजूद लोगों ने यह कहकर उनका विरोध किया कि पहले मस्जिदों और मदरसों का पैसा लेकर दिखाओ। उसके बाद ही हिंदुओं के मंदिरों पर अधिकार जताना।”
कर्नाटक के मंदिरों के पुजारियों की वीडियो को फेसबुक और ट्विटर पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।

Crowd Tangle टूल पर किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि वायरल दावे को सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है।
हमारे आधिकारिक WhatsApp नंबर (9999499044) पर भी वायरल दावे की सत्यता जानने की अपील की गई थी।
वायरल वीडियो के आर्काइव वर्ज़न को यहां और यहां देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
कर्नाटक के पुजारियों और सरकारी आधिकारियों के बीच बहस के वीडियो की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। गूगल कीवर्ड्स सर्च की मदद से खंगालने पर हमें वायरल दावे से संबंधित कोई रिपोर्ट नहीं मिली। वीडियो को ध्यान से देखने पर संदेह हुआ कि यह वीडियो हाल फिलहाल का नहीं है। वीडियो में नज़र आ रहे लोगों ने मास्क नहीं पहना हुआ है।
InVID की मदद से मिले कीफ्रेम्स को एक-एक करके Google Reverse Image Search करने पर हमें Sagar N Kolar नामक यूज़र द्वारा फेसबुक पर 4 नवंबर 2015 को पोस्ट की गई एक वीडियो मिली। इससे साबित होता है कि कोलारम्मा मंदिर (Kolaramma Temple) की पुरानी वीडियो को अभी का बताकर शेयर किया जा रहा है।

उपरोक्त वीडियो के आर्काइव वर्ज़न को यहां देखा जा सकता है।
देखा जा सकता है कि कर्नाटक के पुजारियों का यह वीडियो पिछले महीने भी शेयर किया गया था।
अधिक खोजने पर हमें 31 अक्टूबर 2015 को कन्नड़ वेबसाइट Prajavani.net द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए एक फैसले के बाद डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर डॉ केवी त्रिलोकचन्द्रा और अन्य अधिकारी दोपहर में मंदिर पहुंचे थे। उस दौरान मंदिर के पुजारियों और अधिकारियों में बहस हो गई थी।

पड़ताल के दौरान हमें The Print द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में 34 हजार 500 मंदिर हैं और ये सभी मंदिर मुजराई विभाग के अंदर आते हैं। मंदिरों में जितना भी दान किया जाता है उससे राज्य की भी आमदनी होती है। औसतन राज्य को सालभर में 8 से 14 करोड़ रूपए तक मिल जाता है, जिससे मंदिर के कर्मचारियों को सैलरी भी दी जाती है।
पड़ताल के दौरान हमें स्वराज वेबसाइट द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो में नज़र आ रहे पुजारी चंद्रशेखर दीक्षित से बातचीत की गई है। पुजारी के बेटे शिवप्पा दीक्षित ने बताया, “साल 2015 में मंदिर प्रशासन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच कुछ मसला चल रहा था। इस मामले में मंदिर का जिम्मा राज्य सरकार को दिया गया है। कुछ अधिकारी हुंडी स्थापित करना चाहते थे। लेकिन हम सभी पुजारियों ने मिलकर कहा- पहले हमारी चिंताओं का दूर करो और उसके बाद जो कुछ भी आप स्थापित करना चाहते हो वो करो।”
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Conclusion
सोशल मीडिया पर कर्नाटक के कोलारम्मा मंदिर की लगभग 5 साल पुरानी वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। इस वीडियो का हाल फिलहाल से कोई लेना-देना नहीं है।
Result: Misleading
Our Sources
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