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Fact Check
इन दिनों एक शख्स की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर हो रही है। तस्वीर में युवक ने अपने एक हाथ में एक फाइल पकड़ी हुई है तो वहीं दूसरे हाथ से वो अपने आंसू पोंछ रहा है। दावा किया जा रहा है, “इस युवक का नाम राजेश तिवारी है और ये लखनऊ का रहने वाला है। राजेश को UPSC की परीक्षा में 643 अंक मिले हैं। इतने अच्छे अंक लाने के बाद भी राजेश परीक्षा पास नहीं कर सका, क्योंकि इस साल जनरल कैटेगरी का कट ऑफ 689 रहा है। जबकि SC/ST का कटऑफ 601 रहा है। यानी कम अंक वालों को एडमिशन मिलेगा और ज्यादा अंक वालों को सिर्फ रोना होगा।”
भारत में आरक्षण शुरू से ही बहस का मुद्दा रहा है। युवा अक्सर इसको लेकर सोशल मीडिया पर सवाल पूछते नजर आते हैं कि आखिर किसी भी वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व के आधार पर कब तक इसका लाभ दिया जाएगा। दरअसल समाज में हर वर्ग के लोगों को स्थान देने के लिए आरक्षण की शुरुआत की गई थी। लेकिन फिर अलग-अलग समुदायों ने अलग-अलग तरह के मुद्दों को उठाकर आरक्षण की मांग शुरू कर दी। इसी क्रम में कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए आरक्षण रद्द कर दिया था। जिसके बाद से ही मराठा समाज में आक्रोश है और वो आरक्षण के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। आरक्षण के मुद्दे पर देश का उच्चतम न्यायालय भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मुद्दे पर तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा कि आखिर कितनी पीढ़ियों तक आरक्षण चलेगा।
पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।
वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें तस्वीर से जुड़ी एक रिपोर्ट, बांग्लादेशी वेबसाइट Ekushey पर मिली। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक तस्वीर में दिख रहे शख्स का नाम राजेश नहीं बल्कि, Sayeed Rimon है। जो कि एक समाज सेवक हैं और बांग्लादेश के रहने वाले हैं। Sayeed Rimon लोगों के बीच सड़क दुर्घटना को लेकर जागरूकता फैलाने का काम करते हैं। सईद खासतौर से युवा पीढ़ी के बीच में जाकर समाज सेवा का काम करते हैं। वो स्कूल और कॉलेज जाकर बच्चों के बीच सड़क दुर्घटना से जुड़ी जागरूकता फैलाते हैं और पर्चियां बांटते हैं। सईद तकरीबन 8 सालों से ये काम कर रहे हैं।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें Sayeed Rimon का फेसबुक अकाउंट मिला। प्राप्त अकाउंट पर वायरल तस्वीर प्राप्त हो गई जिसे 30 नवंबर 2016 को एक बड़े से कैप्शन के साथ अपलोड किया गया था। कैप्शन में सईद ने बेरोजगारी और उससे होने वाली समस्याओं के बारे में लिखा था।
सईद ने 2 जून 2021 को इस तस्वीर को फिर से पोस्ट करते हुए लिखा है, “मेरी ये तस्वीर भारतीय सोशल मीडिया पर आरक्षण के दावे के साथ वायरल हो रही है। साथ ही मुझे भारतीय नागरिक कहा जा रहा है। ये सभी दावे गलत है, मेरा नाम Sayeed Rimon है और मैं एक बांग्लादेशी नागरिक हूं।”

अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने UPSC की वेबसाइट को खंगाला। वहां पता चला कि सिविल सर्विस परीक्षा की कट ऑफ, फाइनल सिलेक्शन लिस्ट आउट होने के बाद जारी की जाती है। साल 2020 में UPSC की परीक्षा हो चुकी है, लेकिन इंटरव्यू अभी तक नहीं हुआ है। जबकि साल 2021 की UPSC की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। ऐसे में अभी तक दोनों में से किसी भी साल का कट ऑफ जारी नहीं हुआ है। लिहाजा वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा बेबुनियाद है।
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीर में नजर आ रहा शख्स भारतीय नागरिक नहीं बल्कि, बांग्लादेशी नागरिक है। जिसकी तस्वीर गलत दावे के साथ शेयर की जा रही है।
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| Claim Review: आरक्षण की वजह से UPSC में फेल हुए युवक की है वायरल तस्वीर। Claimed By: Syntax Error Fact Check: Misleading |
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UPsc –https://www.upsc.gov.in/examinations/cutoff-marks
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