After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim–
ईरान ने जनरल सुलेमानी का बदला ले लिया, धर्म देखकर सपोर्ट करने वाले भक्त सदमे में हैं। जो कल सुलेमानी के मौत पर खुशियां मना रहे थे।
Verifcation–
फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है इसमें कहा गया है कि ईरान ने जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का अमेरिका से बदला लिया है। ईरान ने अमेरिका के सैनिकों को मौत के घाट उतारा है। इस दावे के साथ अमेरिकी सैनिकों के ताबूत की
तस्वीरें शेयर की गई हैं।
क्या ईरान ने सच में अमेरिका के सैनिको को मौत के घाट उतारा है यह जानने के लिए हमने गूगल में खोज की तो हमें
दी हिंद न्यूज नामक वेबसाईट पर खबर मिली। जिसमें लिखा गया है कि ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स ने चार दिन के भीतर ही अमेरिका से अपने मेजर जनरल सुलेमानी की हत्या का बदला ले लिया। रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की वायु सेना ने बुधवार सुबह इराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर दर्जनों बैलेस्टिक मिसाइलें दागीं। ईरान की मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हमले में 80 अमेरिकी नागरिक मारे गए हैं।
लेकिन हमनें जांच को आगे बढ़ाया तो
timesofisrael नामक वेबसाइट पर इसी दावे वाली खबर मिली। खबर में बताया है कि कथित तौर पर मृत सैनिकों को हेलीकॉप्टर द्वारा तुरंत एयरबेस से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं अमेरिका का कहना है कि सुलेमानी के लिए किए गए जवाबी हमले में कोई हताहत नहीं हुआ है।
अमेरिका द्वारा स्पष्टीकरण की खबर पढ़ने के बाद हमने वायरल ताबूतों की फोटोज को लेकर जांच शुरू की। फोटोज को खोज की तो हमें पहली फोटो दस साल पहले
न्यूर्याक टाइम्स के एक आर्टिकल में मिली।
वहीं हमें यह फोटो
बीबीसी के एक आर्टिकल में प्राप्त हुई जो उससे भी चार साल पहले यानि 2005 में प्रकाशित हुई थी।
दूसरी तस्वीर हमें पाकिस्तानी वेबसाइट
nation.com.pk पर मिली। यह आर्टिकल 2011 में प्रकाशित हुआ है।
इससे स्पष्ट होता है कि हाल में सोशल मीडिया में वायरल हो रही अमेरिकी सैनिकों की ताबूतों की तस्वीरें काफी पुरानी हैं और इसका ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
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Result- False
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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.