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Fact Check: क्या भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को ईवीएम हैक करने का दिया खुला चैलेंज? सात साल पुरानी है यह खबर

Authors

Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

Claim– भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को ईवीएम हैक करने का खुला चैलेंज दिया है।

Fact– यह दावा भ्रामक है। वायरल हो रहा वीडियो करीब सात साल पुराना है।

देश में ईवीएम से मतदान कराए जाने का विरोध लगभग हर चुनाव में देखने को मिल ही जाता है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा आये दिन ईवीएम पर सवाल उठाये जाते रहे हैं। देश में हो रहे लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने एक सुर में बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है। दलों द्वारा यह दावा किया जाता रहा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ करके बीजेपी चुनावों को प्रभावित करती है। इसी बीच सोशल मीडिया खासकर एक्स पर एक दावा तेजी से वायरल हो रहा है। एक वीडियो को शेयर करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से ईवीएम को हैक करके दिखाने के लिए खुला चैलेंज किया है। दावा यह भी किया गया है कि आयोग ने सभी दलों को ईवीएम हैक करने के लिए चार घंटे का समय दिया है।

यूजर्स इस वीडियो को शेयर करते हुए लिख रहे हैं, “ब्रेकिंग न्यूज💥 भारतीय चुनाव आयोग का भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों को ओपन चैलेंज का आयोजन किया है EVM मशीनो को हैक करके दिखाए। अब आएगा खेल का मजा।” एक्स पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है।

Courtesy/x.com/@drseemat

Fact check/ Verification

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को ईवीएम हैक करने के लिए खुला चैलेंज देने के नाम पर वायरल हो रहे इस वीडियो को हमने ध्यान से देखा। वीडियो में दिख रहे व्यक्ति के सामने लगी नेम प्लेट पर डॉ नसीम ज़ैदी लिखा हुआ है। अब हमने यह जानने के लिए कि इस नाम का व्यक्ति कौन है, गूगल पर कीवर्ड सर्च किया। इस दौरान हमें भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर इनकी प्रोफ़ाइल प्राप्त हुई। यहां दी गई जानकारी के अनुसार, डॉ नसीम ज़ैदी 19 अप्रैल 2015 से 5 जुलाई 2017 तक भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर थे।

इससे हमें यह शक हुआ कि यह वीडियो काफी पुराना हो सकता है। कुछ कीवर्ड्स को गूगल सर्च करने पर हमें 20 मई 2017 को आजतक की वेबसाइट पर दावे से सम्बंधित एक खबर प्राप्त हुई। इस खबर में बताया गया है कि तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने उस साल पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाए जाने पर यह फैसला किया था। गौरतलब है कि साल 2017 में यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए थे। खबर के मुताबिक, सभी दलों को ईवीएम हैक करके दिखाने के लिए 3 जून 2017 का समय दिया गया था। खबर में यह भी बताया गया है कि उस समय दलों को चार घंटे का समय दिया गया था। इसके अलावा, राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों को पांच राज्यों में हुए चुनाव से सम्बंधित 4 ईवीएम मशीनों को चुनने के लिए भी विकल्प दिया गया था।

Courtesy: Aajtak.in

खोजने पर हमें 20 मई 2017 को PIB की वेबसाइट पर भी चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम हैक को लेकर किए गए चैलेंज पर एक प्रेस रिलीज मिली। इस रिलीज में मामले को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है।

Courtesy: https://pib.gov.in/

पड़ताल के दौरान हमें उस समय इस मामले को लेकर कई मीडिया संस्थानों द्वारा प्रकाशित ख़बरें मिलीं। सभी खबरों में यह जानकारी दी गई है कि चुनाव आयोग ने साल 2017 में पांच राज्यों के लिए हुए विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम हैक करने का चैलेंज राजनीतिक दलों को दिया था। उस समय प्रकाशित ख़बरों को यहां और यहां पढ़ा जा सकता है।

10 अगस्त 2017 इंडिया टुडे द्वारा प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम हैक को लेकर दिए गए चैलेंज में सिर्फ दो पार्टियों क्रमशः CPI (M) और NCP ने रुचि दिखाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने भी हैकाथन के इस आयोजन में हिस्सा नहीं लिया।

खोजने पर हमें भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर ईवीएम को लेकर इस तरह से जारी की गई कोई हालिया प्रेस रिलीज नहीं मिली। इसके अलावा, वर्तमान में भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वायरल हो रहा दावा सात साल पुराना है। हालांकि, ताजा ईवीएम विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर अमर उजाला ने 9 अप्रैल को एक खबर प्रकाशित की है। खबर में बताया गया है कि एक सामाजिक कार्यकर्ता की वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग वाली याचिका पर, बीते 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। हालांकि, अब इस मामले की अगली सुनवाई आगामी 16 अप्रैल को होनी है।

Courtesy: amarujala.com

Conclusion

इस तरह हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो गई कि ईवीएम को लेकर वायरल हुआ यह दावा भ्रामक है। यह खबर करीब 7 साल पुरानी है।

ResultMissing Context

Sources
Aajtak Report on 20 May, 2017
PIB Press release On 20 May, 2017

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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