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Fact Check
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहा खूनी संघर्ष इस हफ्ते सोशल मीडया पर चर्चा का विषय बना रहा। दोनों देशों ने एक दूसरे पर रॉकेट से हमले किए। इस संघर्ष में सोशल मीडिया यूजर्स दो धड़े में बंटे नजर आये। किसी ने इजरायल को सही बताया तो किसी ने कहा फिलिस्तीन सही है। सोशल मीडिया पर इस संघर्ष को लेकर कई गलत दावे भी वायरल हुए। दूसरी तरफ कोरोना को लेकर एक नई चुनौती भारत के सामने आ गई है। लोगों ने लकड़ी की कमी या फिर अन्य कारणों से शवों को गंगा में बहाना शुरू कर दिया है। हर दिन पुलिस को यूपी से लेकर बिहार तक के गांवों में गंगा किनारे कई लोगों के शव मिल रहे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर गंगा किनारे की कई पुरानी तस्वीरें हालिया दिनों की बातकर वायरल हो रही हैं। हमारी टीम ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए कुछ ऐसे ही फेक दावों की पड़ताल करके उनका सच दुनिया के सामने रखा है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में एक गुंबदनुमा इमारत नजर आ रही है। जिसमें जोरदार धमाका होता है और इमारत ध्वस्त हो जाती है। इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि वीडियो में नजर आ रही गुंबदनुमा इमारत अल अक्सा मस्जिद है। जो कि मक्का और मदीना के बाद इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद मानी जाती है। जिसे अब इजरायल द्वारा तोड़ दिया गया है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि वायरल दावा भ्रामक है।
सोशल मीडिया पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ खड़े एक शख्स की तस्वीर तेज़ी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि गांधी परिवार के साथ खड़े इस शख्स का नाम नवनीत कालरा है। जिसका नाम दिल्ली में ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर की कालाबाजारी में सामने आया है। हमारी पड़ताल में वायरल दावा फेक साबित हुआ।
सोशल मीडिया पर गंगा नदी के किनारे पड़े शवों की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। जिसे शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर देश के हालिया हालातों की है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये तस्वीर तकरीबन 7 साल पुरानी है।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को टीका लगाने की अनुमति मिल गई है। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि वायरल दावा भ्रामक है।
सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया कि केरल स्थित बिलिवर्स ईस्टर्न चर्च पर आयकर विभाग तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापे में 7000 करोड़ रुपये बरामद हुए हैं। जब हमने दावे की पड़ताल की तो पाया कि ये दावा गलत है।
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