रविवार, नवम्बर 24, 2024
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झारखण्ड में सहायक पुलिसकर्मियों द्वारा किये गए प्रदर्शन का वीडियो मौजूदा किसान आंदोलन का बताकर सोशल मीडिया पर किया गया शेयर

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में पुलिसकर्मी को मीडिया से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए सुना जा सकता है। इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार ने उनकी मर्जी के खिलाफ लोगों पर लाठी चार्ज करवाया। जिससे वे काफी आहत हुए हैं। इसी कारण वह अपनी नौकरी छोड़ना चाहता हैं। इसी वीडियो को इंटरनेट पर किसान आंदोलन का बताते हुए तेजी से शेयर किया जा रहा है।

वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें

Fact Check / Verification

किसान आंदोलन को लेकर इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस वीडियो का सच जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले वायरल वीडियो को InVid टूल की सहायता से कुछ कीफ्रेम्स में तोड़कर रिवर्स इमेज टूल की मदद से खोजना शुरू किया। लेकिन इस दौरान ऐसी कोई जानकारी हासिल नहीं हुई जिससे वीडियो के बारे में सही जानकारी मिल पाती।

किसान आंदोलन पुलिस कर्मी

वीडियो की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने वायरल क्लिप में दिख रहे The Followup नाम पर गौर किया। जिसके बाद हमने TheFollowup नामक यूट्यूब चैनल पर वायरल क्लिप को खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें वायरल क्लिप चैनल पर प्राप्त हो गई। यह क्लिप चैनल पर 18 सितंबर 2020 को अपलोड की गई थी। वीडियो के मुताबिक़ प्रदर्शनरत पुलिसकर्मियों पर लाठी चार्ज हुआ था।

किसान आंदोलन पुलिस कर्मी

अधिक जानकारी के लिए हमने गूगल पर (सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन) के नाम से खोजना शुरू किया। जिसके बाद हमें न्यूज़18 की वेबसाइट पर 15 सितंबर साल 2020 को छपा एक लेख मिला। लेख के मुताबिक झारखंड के रांची स्थित मोरहाबादी मैदान में अनुबंध पर नियुक्त किये गए 2200 सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन चल रहा था।

किसान आंदोलन पुलिस कर्मी

दरअसल झाखरंड की पूर्व सरकार द्वारा अनुबंध पर नियुक्त सहायक पुलिसकर्मियों का 3 साल का अनुबंध अगस्त महीने में समाप्त हो गया था। लेकिन इसके बाद भी पुलिसकर्मी सूबे की विधि व्यवस्था में अपना योगदान देते रहे। लेकिन जब इनकी नौकरी की समीक्षा को लेकर पुलिस मुख्यालय ने एक पत्र जारी किया तब सहायक पुलिसकर्मी आक्रोशित हो गए थे।

जिसके बाद इन्होंने रांची के मोरहाबादी मैदान पर धरना दिया। आंदोलनकारियों की दलील थी कि सरकार द्वारा उनसे वादा किया गया था कि अनुबंध के बाद जिला मुख्यालयों पर उनकी तैनाती की जाएगी लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर रही है।

इसके साथ ही खोज के दौरान हमें ANI की वेबसाइट पर 18 सितंबर 2020 को मामले से संबंधित एक लेख मिला। जहां जानकारी दी गई थी कि झारखंड पुलिस ने सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज किया था।

किसान आंदोलन पुलिस कर्मी

Conclusion

पुलिसकर्मियों द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन की वायरल क्लिप की पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से हमें पता चला कि किसान आंदोलन से इसका कोई संबंध नहीं है। दरअसल यह वीडियो सितंबर साल 2020 में झारखण्ड के रांची में हुए सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन का है।

Result-Misleading

Our Sources

https://www.aninews.in/news/national/general-news/police-lathi-charge-after-clash-with-protesting-assistant-police-personnel-in-ranchi20200918221102/

https://hindi.news18.com/news/jharkhand/ranchi-assistant-policemen-warn-of-self-immolation-demand-appointment-letter-hemant-soren-cgpg-3239858.html

https://www.youtube.com/watch?v=mj67SvSCWJk

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Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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