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पाकिस्तानी मूल के लेखक तारेक फतह (Tarek Fatah) ने सड़क पर नमाज अदा कर रहे लोगों की एक तस्वीर को शेयर करते हुए इसे भारत का बताया है। उन्होंने दावा किया है कि ‘शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए भारत के हाईवे पर भीड़ द्वारा ट्रैफिक जाम करना, इबादत नहीं दूसरों को डराने के लिए प्रदर्शन है। अगर उन्हें ऐसा करने से मना कर दें तो इसे साम्प्रदायिक बता दिया जाएगा।’
वायरल ट्वीट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अक्सर ही मुस्लिमों द्वारा सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर कई दावे वायरल होते रहते हैं। बीते 8 दिसंबर को ऐसे ही एक दावे का Newschecker द्वारा फैक्ट चेक किया जा चुका है, जिसे यहां देखा जा सकता है। इसी क्रम में, अब एक अन्य दावा वायरल है। उपरोक्त तस्वीर को शेयर कर यह दावा किया गया है कि ‘शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए भारत के हाईवे पर भीड़ द्वारा ट्रैफिक जाम करना, इबादत नहीं दूसरों को डराने के लिए प्रदर्शन है।
वायरल दावे को ट्विटर पर कई अन्य यूजर्स द्वारा भी शेयर किया गया है।
ट्वीट्स का आर्काइव वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल दावे के साथ शेयर की गई तस्वीर को फेसबुक पर पिछले 24 घंटे में कितने यूजर्स द्वारा पोस्ट किया गया है, यह जानने के लिए हमने Crowdtangle टूल पर एक विश्लेषण किया। इस दौरान हमने पाया कि इस दौरान इस दावे को 43 से भी अधिक बार पोस्ट किया गया है। जिस पर कुल 3,764 इंटरैक्शंस (लाइक्स, शेयर और कमेंट्स) प्राप्त हुए हैं।
Fact Check/ Verification
सोशल मीडिया पर वायरल ‘शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए भारत के हाईवे पर भीड़ द्वारा ट्रैफिक जाम करना, इबादत नहीं दूसरों को डराने के लिए प्रदर्शन है, दावे के साथ शेयर की गई तस्वीर क्या सच में भारत के किसी हाईवे पर मुस्लिमों द्वारा नमाज पढ़ने के दौरान की है? इसका सच पता लगाने के लिए हमने सबसे पहले इस तस्वीर को गूगल पर सर्च किया। इस दौरान हमें mirror और britannica की वेबसाइट के अलावा DhakaTribune द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। प्राप्त रिपोर्ट्स में वही तस्वीर प्रकाशित की गई थी जिसे वायरल दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
Mirror वेबसाइट पर 13 जून 2019 को ‘ ट्रैवल फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विजेताओं के रूप में प्रकाशित की गई दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों की तस्वीरें’ शीर्षक के साथ 9 जगहों की तस्वीरें प्रकाशित की गई थी। प्रकाशित तस्वीर में तीसरे नंबर पर वह तस्वीर प्रकाशित थी, जिसे वर्तमान में भारत का बताया जा रहा है। तस्वीर के नीचे लिखा गया था, ‘सांदीपनि चट्टोपाध्याय द्वारा खींची गई यह तस्वीर ढ़ाका की है। बांग्लादेश के ढाका में इज्तेमा के दौरान लोगों द्वारा सड़कों पर नमाज पढ़ा जाता है। ढ़ाका की सड़कों को खूबसूरत शहरों की श्रेणी में तीसरे स्थान पर रखा गया है।’
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, ढाका के बाहरी इलाके टोंगी में तुराग नदी के तट पर हर साल इज्तेमा आयोजित की जाती है। इस दौरान लाखों मुसलमान इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं। यह तस्वीर उसी कार्यक्रम के दौरान की है।
वहीं britannica की वेबसाइट पर बांग्लादेश पर आधारित एक लेख प्रकाशित किया गया था। लेख में वही तस्वीर प्रकाशित थी जिसे ‘शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए भारत के हाईवे पर भीड़ लगाकर ट्रैफिक जाम करना, इबादत नहीं दूसरों को डराने के लिए प्रदर्शन है’ दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
वायरल दावे से संबंधित अधिक जानकारी के लिए हमने दावे के साथ शेयर की जा रही तस्वीर को ध्यान से देखा। इस दौरान हमें तस्वीर में मौजूद लाल रंग की बस पर BRTC लिखा हुआ दिखाई दिया।
हमने जब इसे कुछ कीवर्ड्स की सहायता से गूगल पर खोजा तो पाया कि यह BRTC (Bangladesh Road Transport Corporation) बस बांग्लादेश की है।
प्राप्त जानकारी की पुष्टि के लिए न्यूजचेकर ने ढाका में जन्मे और पेशे से पत्रकार अजीम खान रॉनी (Azim Khan Ronnie) से संपर्क किया। इस दौरान उन्होंने हमें बताया, “सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर ढाका में हुए एक वैश्विक मण्डली के दौरान की है।”
इसके अलावा सोशल मीडिया पर वायरल, ‘शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए भारत के हाईवे पर भीड़ द्वारा ट्रैफिक जाम करना, इबादत नहीं दूसरों को डराने के लिए प्रदर्शन है। दावे के साथ शेयर की गई तस्वीर को अक्टूबर, 2020 में भी ‘भारत में 30 प्रतिशत मुस्लिम हैं इस वजह से वे अल्पसंख्यक नहीं हैं’ दावे के साथ शेयर किया गया था। जिसका न्यूजचेकर द्वारा फैक्ट चेक किया गया था, जिसे यहां देखा जा सकता है।
Conclusion:
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सोशल मीडिया शेयर की जा रही तस्वीर भारत की नहीं बल्कि बांग्लादेश की है। यह तस्वीर करीब 2 साल पुरानी है जिसे अब भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
Result: Misleading
Sources:
Media Reports:
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